Acharya Angad

October 18, 2024 | 40

दीपवाली का भगवान् राम के अयोध्या वापस आने से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है

आप सभी को बहुत बहुत नमस्कार !

अभी अभी कुछ दिन पहले हे दशहरा बीता है हम सबने खूब धूम धाम से मनाया और रावण दहन को भी देखा ये त्यौहार बुराई पे अच्छाई की जीत  का त्यौहार ह।  आज तक हम सब यही जानते आये हैं की दशहरा के दिन ही राम ने रावण का वध किया था और उसके ठीक २१ दिन बाद पड़ने वाली दिवाली तो अयोध्या धाम वापस आये थे।  

मुझे भी बचपन ने यही पता था, लेकिन जब थोड़ा ज्ञान प्राप्त हुआ, थोड़ा वाल्मीकि रामायण पढ़ा , तुलसी दस द्वारा रचित राम चरित मानस को पढ़ा और उसमे से जानने की कोशिश की तब लगा की नहीं ये दशहरा रावण पे राम की विजय का दिवश नहीं है, इसको प्रमाणित करने के लिए अभी आगे कुछ हिंदी महीनो, रामायण के कुछ श्लोको का अध्यन किया जायेगा। 

दशहरा बुराई पे अच्छाई की जीत का त्यौहार है, इसी दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था, महिषासुर पे विजय प्राप्त की थी इसीसलिए इसे विजय दशमी भी कहा जाता है। 

चलिए अब इस बातकी तह तक जाते हैं की यदि दशहरे के दिन रावण वध नहीं हुआ था तो फिर कब ?

इसके लिए आपको  अपने हिंदी के महीनो को जानना पड़ेगा , चलिए मैएक छोटी से कोशिश करता हूँ, हिंदी के महीनो को अंग्रेजी के महीनो के साथ जोड़ने की। 

आप में से अधिकतर लोगों को तो ये पता ही होगा की हमारा हिंदी का महीना चैत से शुरू होता है, तो चलिए हिंदी महीनो को अंग्रेजी के JAN , FEB से जोड़ते हैं। 

हमारे हिंदी के महीनो के हिसाब से ६ ऋतुएँ होती  है उनको धयान में रखते हुए बनाते है। 

ऋतुएँ                        हिंदी के महीने                      अंग्रेजी के महीने   

वसंत                        चैत, वैसाख                     फरवरी - मार्च - अप्रैल 

ग्रीष्म                        ज्येष्ठ , अषाठ                   अप्रैल - मई - जून  

वर्षा                         अषाठ, श्रावण                  जून - जुलाई -अगस्त 

शरद                        भाद्रपद, आश्विन              अगस्त - सितम्बर - ऑक्टूबर 

हेमंत                        कार्तिक , मार्गशीष, पौष   ऑक्टूबर - नवम्बर - दिसम्बर 

शीत                         माघ , फाल्गुन                  दिसम्बर - जनवरी - फरवरी 

अब अगर आपने रामायण पढ़ी होगी तो उसमे जब भगवान् राम ने बाली का वध किया और उनका राज्याभिषेक किया तो एक प्रसंग आता हैं जहा राम लक्मण जी से कहते है की चुकी वर्षा ऋतू प्रारम्भ हो गयी है इस समय हमे अपने सीता की खोज को कुछ दिन (४ महीनो) के लिए विराम देना होगा, (वाल्मीकि रामायण - किष्किंधा कांड - सप्तविंश सर्ग - श्लोक ४८ , राम चरित मानस के किष्किंधा कांड में ही है ) इस तरह से देखा जाये तो ये समय अषाठ , श्रावण (जून - जुलाई - अगस्त ) का आता हैं। यानि की इस समय पे वर्षा के करना माता सीता की खोज रोक दी गयी थी। 

अब आगे के श्लोको में जब वर्षा ऋतू बीत जाती है और सुग्रीव भोग विलाश में डूबने की वजह से माता सीता की खोज के कार्य को भूल जाये है तो पुनः राम जी लक्मण जी  से कहते हैं 

बरषा बिगत सरद रितु आई। लछमन देखहु परम सुहाई॥

फूलें कास सकल महि छाई। जनु बरषाँ कृत प्रगट बुढ़ाई॥


भावार्थ:- हे लक्ष्मण! देखो, वर्षा बीत गई और परम सुंदर शरद् ऋतु आ गई। फूले हुए कास से सारी पृथ्वी छा गई। मानो वर्षा ऋतु ने (कास रूपी सफेद बालों के रूप में) अपना बुढ़ापा प्रकट किया है॥

यानी की भद्रा पद भी बीत गया और आश्विन का महीना शुरू हो रहा था, अब आगे ध्यान देने की बात ये है की दशहरा कब मनाया जाता हैं ? दशहर आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष के दशमी को, अब यहा सोचें वाली बात है की जब आश्विन की शुरुआत में खोज शुरू हुई तो  दशमी को रावण का वध कैसे हो सकता है ? यानि की रावण का वध दशहरा को तो नहीं हुआ था , थोड़ा और गहरायी में जाते है, माता सीता की खोज के लिए वानर सेना को एक महीने का समाया दिए गया था, और हनुमान जी ने माता सीता की खोज की थी लेकिन वो खोज भी एक महीने से जयादा समय तक चली थी 

इहाँ बिचारहिं कपि मन माहीं। बीती अवधि काज कछु नाहीं॥

सब मिलि कहहिं परस्पर बाता। बिनु सुधि लएँ करब का भ्राता॥1॥

भावार्थ: यहाँ वानरगण मन में विचार कर रहे हैं कि अवधि तो बीत गई, पर काम कुछ न हुआ। सब मिलकर आपस में बात करने लगे कि हे भाई! अब तो सीता जी की खबर लिए बिना लौटकर भी क्या करेंगे!॥1॥

इस तरह से देखा जाये तो भी दसहरा का दिन यानि आश्विन के दशमी तो हो ही नहीं सकता रावण वध का दिन, इसलिए  दशहर रावण वध का नहीं बल्कि माँ दुर्गा द्वारा महिषासुर के वध का दिन है, 

आशा है की आपकी शंका दूर कर पाया,  किसी सुझाव और प्रश्न के लिए बे झिझक बात कीजिये।   

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